संदेश

राजनीति के राजघाट पर

🎵 गीत — “राजनीति के घाट” 🎵 (मुखड़ा) राजनीति के राजघाट पर, नेतन की भई भीड़, सारे मेवा खात है, सारे पियत है खीर। लोक कहे, भ्रष्टता से फूटी अपनी तकदीर, तंत्र कहें, सम्पन्नता से सात पीढ़ी की दूर हुई पीर ! (अंतरा 1) झंडा उठे, नारे लगें, वादा सबको मिलेगी खुशहाली का , कुर्सी जब मिल जाए तब, इंतजाम होगा अपनी खुशहाली का, भाषण में सपने लाखों, मन में अपनी तीर, राजनीति के राजघाट पर, नेतन की भई भीड़।। (अंतरा 2) गाँव की गलियों में अब सन्नाटा छायो, नेताजी शहर में बंगला नया बनायो। जनता पूछे — कहाँ गया वो नसीब, कहें जनाब — ये सब तो भाग्य की ही लिखीर।। (मुखड़ा दोहराव) राजनीति के घाट भई नेतन की भीड़, कोई मेवा खात है, कोई पियत है खीर। जनता कहती फूटी अपनी तकदीर, नेता कहत — सात पीढ़ी की दूर हुई पीर।। (अंतरा 3) चुनाव आए फिर से, ढोल नगाड़े बाजें, वो ही झूठी बातें, वही पुराने साज़ें। जनता फिर भी आशा में रखे अपनी धीर, कभी तो बदलेगी किस्मत की तस्वीर।। (समापन) राजनीति का मेला यूँही चलता जाए, जनता के सपने हर मौसम में बिक जाए। कभी तो आए सच का नगीना वीर, तब मुस्काए भारत, मिटे जनता की पीर।। --

कविता - कहां खो गईं बहन-बेटियां

🌸 बहन-बेटियां 🌸 अरविन्द सिसोदिया  9414180151 अनीति के माहौल में, कानून के जंजाल में, संपत्ति के ख्याल में, कहां खो गई चुलबुल बहन बेटियां... --1-- जो चिड़िया-सी चहकती थीं, हर सुबह को रौनक देती थीं, घर-आंगन की शोभा थीं वो, हर रिश्ते में प्रेम भरती थीं। --2-- जिसके चेहरे की मुस्कान से घर का कोना-कोना महक उठता था, जिसकी आहट से हर दिल में, जीवन का संगीत गूंज उठता था। --3-- अब न जाने किस डर में सिमट गई वह , अंजानी दहसत से भर गई वह , शक और संपत्ति की उलझन में. अपने ही स्नेह के लिए तरस गई वह! --4-- जो राखी में भाई की कलाई पर सजाती थीं, भाई दौज पर ममता से घर-संसार भरती थीं, उपेक्षा से डरी सहमी अपने ही घर में ठिठक गई वह, बंद दरवाज़े, मुंह मोड़ते रिश्तों की सिसकी में गुम हो गई वह। --5-- क्या यही था वो समाज हमारा,जो संस्कार भूला, जहां नारी को मान मिलता था सर्वोपरी, अब तो हर खबर में दर्द का साया बन गया, क्यों, हर गली अब असुरों का माया बन गई!  --6-- लोकतंत्र और राजनीती के नासूरों ने रिश्ते छीने, संस्कारों और शिष्टाचारों को आधुनिकता की चक्की में पीसे , समाज की चेतना को जगाना होगा, सनातन कुट...

My Gov सुप्रीम कोर्ट की अनुकरणीय पहल, सभी न्यायालयों को मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए

विधवा को ढूंढने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने लिया ये फैसला, 23 साल बाद 6 पर्सेंट ब्याज के साथ मिलेगा मुआवजा सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के एक ट्रेन हादसे में अपने पति को खो चुकी संयुक्ता देवी को 23 साल बाद मुआवजा दिलाया। कोर्ट ने रेलवे को उन्हें ढूंढकर मुआवजा देने का आदेश दिया, क्योंकि पहले ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट ने दावा खारिज कर दिया था। कोर्ट ने रेलवे को 4 लाख रुपये का मुआवजा 6% ब्याज के साथ देने का आदेश दिया। पुलिस और रेलवे ने मिलकर संयुक्ता देवी को खोज निकाला। महिला को ढूंढने की कोशिशें जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और एन कोटिस्वर सिंह की बेंच ने संयुक्ता को ढूंढने के लिए विशेष कदम उठाए। कोर्ट ने पूर्वी रेलवे को हिंदी और अंग्रेजी के प्रमुख अखबारों में सार्वजनिक नोटिस छपवाने का आदेश दिया। इसमें मुआवजे की जानकारी और जरूरी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड और बैंक खाता विवरण जमा करने का जिक्र था। नालंदा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और बख्तियारपुर पुलिस स्टेशन के SHO को संयुक्ता का पता लगाने और उन्हें मुआवजे की जानकारी देने को कहा गया। साथ ही, बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को उनके अंतिम ज्ञात पते पर जाकर ...

कविता - भारत

भारत  - अरविन्द सिसोदिया  9414180151 कर्तव्य और समर्पण जिसके पहिये, ईश्वर स्वयं जिसके सारथी, यही सनातन भारत है, जिसकी विश्व उतारे आरती। ---1--- जहाँ धर्म जीवन का आलोक है, अर्थ का साधन भी पुण्य मार्ग है, कर्तव्य , साधना का स्वरूप है, और मोक्ष उस यात्रा का ध्येय अनूप है। ---2--- यह वह भूमि है जहाँ सत्य केवल शब्द नहीं, जीवन का प्रण है, अहिंसा केवल नीति नहीं, अस्तित्व की पहचान है। जहाँ सेवा में ईश्वर बसता है, दया और करुणा ही समग्र सृष्टि है। --3-- यह वही भारत है — जो वेदों की ऋचाओं में गूंजता है, गीता के श्लोकों में जीवन का मर्म सिखाता है, उपनिषदों में आत्मा की अनुभूति कराता है। ---4--- यहाँ परंपराएँ जड़ नहीं, चेतना का प्रवाह हैं, संस्कार यहाँ बंधन नहीं, उत्थान की सीढ़ियाँ हैं। जहाँ त्याग में बल है, और बल में विनम्रता, जहाँ पुरुषार्थ और परमार्थ का समन्वय है। ---5--- यही तो वह सनातन भारत है, जो समय से परे, युगों से अमर, जिसकी धड़कन में मानवता का स्वर, जिसकी आत्मा में विश्वकल्याण का संकल्प। --- समाप्त ----

My Gov गरिमापूर्ण वस्त्र अनिवार्यता नियम

अरविन्द सिसोदिया  9414180151  विचार — यह प्रस्ताव भारत में संसदीय गरिमा, सरकारी संस्थानों की प्रतिष्ठा और लोकसेवा में गंभीरता एवं अनुशासन बनाए रखने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। नीचे इस विचार के आधार पर एक “गरिमापूर्ण पहनावा संहिता (Dress Code)” का प्रारूप प्रस्तुत कर रहा हूँ, जिसमें परिभाषा, उद्देश्य, नियम, प्रतिबंध, दंडात्मक प्रावधान और प्रवर्तन तंत्र शामिल हैं। 🇮🇳 गरिमापूर्ण पहनावा संहिता (Dress Code for Public Representatives and Officials), भारत प्रस्तावना लोकतांत्रिक व्यवस्था में निर्वाचित जनप्रतिनिधि, अधिकारी एवं कर्मचारी राष्ट्र की गरिमा, अनुशासन और सभ्यता के प्रतीक होते हैं। अतः उनका पहनावा समाज में शालीनता, भारतीय संस्कृति और पद की गरिमा के अनुरूप होना आवश्यक है। 1. उद्देश्य 1. संसदीय एवं सरकारी संस्थानों में गरिमामय वातावरण बनाए रखना। 2. पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और कर्मचारियों के पहनावे में शालीनता, पेशेवरिता और सांस्कृतिक संतुलन सुनिश्चित करना। 3. अशोभनीय, आपत्तिजनक या सार्वजनिक मर्यादा के विपरीत वस्त्रों पर निषेध एवं नियंत्रण स्थापित करना है । 2. परिभाष...

कविता - आगे बढ़ो

कविता  🌟 आगे बढ़ो 🌟 - अरविन्द सिसोदिया    9414180151 विश्वास जब थक कर टूट जाता है, पुरुषार्थ का साहस ही काम आता है। ईश्वर का सच्चा संदेश यही है, डरो मत, झुको मत — आगे बढ़ो, आगे बढ़ो, हिम्मत से ही हार पराजित होती है। ---1--- अंधेरों के बाद ही सवेरा आता है, जो गिर कर भी उठे, वही जीत पाता है। पथरीले रास्तों से मत घबराना, हर कांटे में छिपा फूल मुस्कुराता है। ---2--- समय की धारा को कोई रोक न पाया, जिसने खुद पर भरोसा किया, वही जीत पाया। संघर्ष ही जीवन की असली साधना है, जो डटा रहा, उसी ने जग पाया। ---3--- सपनों को सच करने की लगन जगाओ, अपने कर्मों से नई राह बनाओ। हार को जीत में बदलने की ठान लो, जीवन में हर पल आगे बढ़ते जाओ।  समाप्त 

कविता - नेता हूँ भई नेता हूँ - अरविन्द सिसोदिया

नेता हूँ भई नेता हूँ...  - अरविन्द सिसोदिया  नेता हूँ भई नेता हूँ, सब का सब कुछ लेता हूँ, चाँद-सितारे, धरती-अंबर, स्वर्ग का सिंहासन लेता हूँ। वोट की थाली, झूठ की माला, सच का भी सौदा करता हूँ, नेता हूँ भई नेता हूँ, सब का सब कुछ लेता हूँ। भ्रष्टाचार हमारा धंधा, काला-पीला अपना फंदा, जनता की आशा से खेलूँ, झूठ के सिक्के गढ़ता धंधा। वादों की रोटियाँ बाँटूँ, सपनों की दालें पकाता हूँ, नेता हूँ भई नेता हूँ, सब का सब कुछ लेता हूँ। सुख लेता हूँ दुख देता हूँ, शांति लेता भ्रांति देता हूँ, सत्य की ज्योति बुझाकर, झूठ की मशालें देता हूँ। भाग्य लिखा कर आया हूँ, सब सुख मैंने पाया हूँ, नेता हूँ भई नेता हूँ, सब का सब कुछ लेता हूँ। गाँव की गलियों में बच्चे भूखे, खेतों में सूखी है मिट्टी, पर मेरे घर में जगमग लाइटें, चमके मोटर और चिट्ठी। जनता रोए सड़कों पर, मैं मंचों से मुस्काता हूँ, नेता हूँ भई नेता हूँ, सब का सब कुछ लेता हूँ। वोट के मौसम में झुकता हूँ, चुनाव बीते तो रुकता हूँ, झूठे सपनों की थैली भर, वादों की माला पहनता हूँ। जनता पूछे, “वादा कहाँ?”, मैं भाषण में बहलाता हूँ, नेता हूँ भई नेता हूँ, सब...

सनातन अर्थात हमेशा नयापन

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सनातन अर्थात हमेशा नयापन  सनातन संस्कृति, सनातन जीवन पद्धति, यूँ तो एक अनुसंधान है.. सत्य को जानने की कोशिश है और उसमें से जो उचित प्राप्त हुआ उसे अपना कर आगे बढ़ते रहने की अनुसंधान यात्रा है। जिसमें ज्ञान विज्ञान और अनुसंधान सम्मिलित है।  इसमें देवी देवता हैँ, तीज त्यौहार हैँ, व्रत उपवास हैँ, मंदिर मठ प्रतिमायें पूजन अर्चन हैँ, विविध प्रकार के चढ़ावे हैँ , विशेष प्रकार की वस्तुओं का महत्व है , जैसे नरियल, अगरबत्ती, दीपक, तिलक, लच्छा, दीपावली पर साफ सफाई से लेकर आतिशबाजी तक़ है, जो वर्षात के कारण उत्पन्न विष्णुओं से मुक्ती का अभियान भी है। होली है रंगों से एक दूसरे को रंग कर सहनशिलता को अपनेपन का स्थापत्य है।  भोजन की विविधता कभी खीर पूड़ी तो, कभी पुआ पकोड़ी, कभी मूंग की दाल की पकोड़ी तो कभी तिल के लड्डू अर्थाय बदलते और विविधता से भरी हुई यह जीवन पद्धति है। जो नित नूतन है सदैव नई है। इसी लिए इसका नाम सनातन है। सदैव नूतन अर्थात सनातन। सनातन जीवन पद्धति में व्यक्ति इतना व्यस्त रहता है कि वह अपने सुख दुःख भूल जाता है, वह मान्यताओं और परंपराओं की व्यस्तता...

कविता - दीप जलाओ, जीवन सजाओ

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दीपावली के सबसे महत्वपूर्ण पहलू धार्मिक, सामाजिक, वैज्ञानिक और व्यवहारिक दृष्टि से दीपावली केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का बहुआयामी उत्सव है — जो आध्यात्मिकता, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, स्वच्छता, और मानवीय संबंधों को जोड़ता है। यह पर्व मानव सभ्यता के विकास क्रम से जुड़ा हुआ है और प्रत्येक युग में अपनी विशेष भूमिका निभाता रहा है। 1. दीपावली और मानव सभ्यता का प्रारम्भ दीपावली की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है — जब भगवान धनवंतरी (आयुर्वेद के जनक और स्वास्थ्य के देवता) तथा देवी लक्ष्मी (धन एवं समृद्धि की देवी) प्रकट हुए। यह घटना मानव सभ्यता में स्वास्थ्य और धन को दो मुख्य आधार के रूप में स्थापित करती है। इस प्रकार, दीपावली का मूल संदेश है — "स्वास्थ्य ही धन है" और समृद्ध जीवन के लिए शरीर, मन और समाज का संतुलन आवश्यक है। 2. स्वच्छता और स्वास्थ्य संरक्षण का वैज्ञानिक आधार दीपावली से पहले घरों की सफाई, रंगाई-पुताई और सजावट केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य विज्ञान का हिस्सा है। मानसून के बाद वातावरण में नमी, सीलन और बैक्टीरिया तेजी से...

My Gov दीपावली एवं होली प्रोत्साहन और छुट्टी नियमावली

दीपावली एवं होली प्रोत्साहन और छुट्टी नियमावली उद्देश्य: इस नियमावली का उद्देश्य दीपावली और होली के अवसर पर देशवासियों को उत्सव मनाने का पर्याप्त समय, यातायात सुविधा और आर्थिक सहायता प्रदान करना है, ताकि सामाजिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक जीवन को बढ़ावा मिले। 1. अवकाश प्रावधान 1. दीपावली एवं होली के अवसर पर देश के सभी नागरिकों को 10-10 दिन की अवकाश सुविधा दी जाएगी। 2. अवकाश की अवधि के दौरान कर्मचारी/नागरिक अपने स्थान से कहीं भी यात्रा करके त्योहार मनाने के लिए स्वतंत्र होंगे। 3. यह अवकाश निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों दोनों में समान रूप से लागू होगा। 2. यातायात एवं आवागमन सुविधा 1. दीपावली और होली के अवसर पर रेल और बस सेवा के आवागमन को बढ़ाया जाएगा। 2. विशेष ट्रेनों और बसों का संचालन सुनिश्चित किया जाएगा ताकि नागरिकों को उनके गंतव्य तक आसानी से पहुंचने में सुविधा हो। 3. यातायात और सुरक्षा के लिए अतिरिक्त कर्मचारी और निगरानी व्यवस्था लागू की जाएगी। 3. महिलाओं के लिए आर्थिक सहायता 1. 8 वर्ष से अधिक उम्र की सभी महिलाओं को दीपावली और होली पर रूपये 2,000 या उससे अधिक आर्थिक सहायता प्रदान की जाएग...

खुशियों को बाँटना ही त्यौहार की असली प्रासंगिकता है” — ओम बिरला om birla

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विमंदित बच्चों द्वारा बनाए गए दीपकों का महिलाओं को वितरण  लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दी स्वदेशी को अपनाने की प्रेरणा “खुशियों को बाँटना ही त्यौहार की असली प्रासंगिकता है” — ओम बिरला कोटा, 19 अक्टूबर। दीपोत्सव के शुभ अवसर पर रविवार सुबह दाधीच सामुदायिक भवन में कोटा उत्तर विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं द्वारा “दीपोत्सव की रामा-श्यामी” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष एवं कोटा-बूँदी सांसद श्री ओम बिरला मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहा — विमंदित बच्चों द्वारा बनाए गए मिट्टी के दीपकों का महिलाओं में वितरण, जिससे कार्यक्रम में संवेदनशीलता और आत्मीयता का सुंदर संदेश प्रसारित हुआ। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री ओम बिरला ने कहा कि दीपावली केवल दीपों का त्योहार नहीं, बल्कि यह मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक सदभाव का उत्सव है। उन्होंने कहा कि समाज और राजनीति में सक्रिय सभी कार्यकर्ताओं को खुशियाँ बाँटने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए ताकि कोई भी परिवार इस पर्व की खुशियों से वंचित न रहे। उन्होंने कहा, “दीपावली का यह पर्...

मानसिक अवसाद की तरफ बढ़ती मानवता : संयुक्त परिवार बनाम विभक्त परिवार

🌿 संयुक्त परिवार बनाम विभक्त परिवार - अरविन्द सिसोदिया 9414180151 भारतीय संस्कृति की आत्मा यदि किसी संस्था में बसती है, तो वह है परिवार। परिवार ही वह इकाई है जो व्यक्ति को संस्कार, सुरक्षा और सामाजिकता प्रदान करती है। भारतीय समाज का पारंपरिक स्वरूप सदैव संयुक्त परिवार पर आधारित रहा है — एक ऐसा तंत्र जिसमें तीन या अधिक पीढ़ियाँ एक साथ रहती हैं, जहाँ सामूहिकता, सहयोग और परस्पर सम्मान की भावना जीवन का आधार होती है। किंतु बदलते समय के साथ यह स्वरूप तेज़ी से विभक्त परिवारों की दिशा में बदलता जा रहा है। यह परिवर्तन केवल भौतिक नहीं, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक स्तर पर भी गहरा प्रभाव छोड़ रहा है। 🌸 संयुक्त परिवार की संकल्पना और उसकी विशेषताएँ संयुक्त परिवार का तात्पर्य ऐसे परिवार से है, जिसमें दादा-दादी, माता-पिता, भाई-बहन, चाचा-चाची और अन्य सदस्य एक ही छत के नीचे रहते हैं। इस व्यवस्था में संसाधनों का उपयोग सामूहिक रूप से होता है। घर के बड़े बुज़ुर्ग मार्गदर्शन देते हैं, मध्यम पीढ़ी दायित्व निभाती है और नई पीढ़ी संस्कार सीखती है। इस व्यवस्था की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इसमें हर व्यक्ति को ...

गृह संपर्क योजना 26 अक्टूबर से 16 नवंबर 2025 RSS

*व्यापक गृह संपर्क योजना 26 अक्टूबर से 16 नवंबर 2025*     चित्तौड़ प्रान्त     *"उद्देश्य"*        1. समाज से जीवंत संपर्क बनाए रखना l                   2. संघ के कार्य का उद्देश्य बताना l                  3. पंच परिवर्तन के विषयों को समाज में अपनाने का आग्रह l                              4 समाज की सज्जन शक्ति और मातृ शक्ति को समाज के प्रति संवेदनशील बनाना l               5 सर्वव्यापी,सर्व स्पर्शी,संपर्क की स्थाई रचना खड़ी करना l  अभियान के समय की विशेष बातें l  1 प्रत्येक हिंदू परिवार तक संपर्क करना अनिवार्य है l  2 परिवार में कर पत्रक, भारत माता का चित्र, मुख्य द्वार हेतु चिपकी l (यह निःशुल्क है, जो परिवार चित्र और चिपकी के लिए मना करे वहां जिद्द नहीं करे) 3 दो पुस्तकें (मूल्य 30/- रुपए) सभी परिवारों को खरीदने का...

My Gov रामराज्य आधारित, नव-शासन व्यवस्था हेतु सुझाव पत्र

 तुलसीदासजी का रामराज्य, वाल्मीकि जी का रामराज्य, और आधुनिक संदर्भ में सुशासन नीति पत्र , उन सबका सार लेकर एक “नव-शासन व्यवस्था हेतु सुझाव पत्र” तैयार किया जाए। यह सुझाव पत्र एक समग्र शासन दर्शन प्रस्तुत करेगा — जो रामराज्य के आदर्शों पर आधारित है, परन्तु आधुनिक लोकतांत्रिक संदर्भ में लागू किया जा सकता है। 🌿 नव–शासन व्यवस्था हेतु सुझाव पत्र (रामराज्य के आदर्शों पर आधारित लोककल्याणकारी शासन का दृष्टि–दस्तावेज़) १. प्रस्तावना (Preface) भारत की सांस्कृतिक परंपरा में रामराज्य केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि न्याय, धर्म, समानता और लोककल्याण पर आधारित शासन की आदर्श संकल्पना है। वाल्मीकि रामायण में वर्णित रामराज्य “धर्मप्रधान, रोगमुक्त, भयमुक्त और समृद्ध” समाज की परिकल्पना करता है, जबकि तुलसीदासजी ने उत्तरकाण्ड में उसे “न्यायपूर्ण, प्रेमपूर्ण और समरस” राज्य के रूप में प्रस्तुत किया। वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था में इन दोनों दृष्टियों से प्रेरणा लेकर, यह सुझाव पत्र एक ऐसी शासन प्रणाली का प्रारूप प्रस्तुत करता है जो 👉 नैतिक, समावेशी, पर्यावरण-संतुलित और जनहितकारी हो। २. शासन के मूल तत्...

अंता उपचुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत तय, कांग्रेस को जमानत बचाने के लाले पड़ेंगे — अरविन्द सिसोदिया Anta up chunav

अंता उपचुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत तय, कांग्रेस को जमानत बचाने के लाले पड़ेंगे — अरविन्द सिसोदिया कोटा, 16 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी राजस्थान मीडिया विभाग के कोटा संभाग प्रभारी अरविन्द सिसोदिया ने कहा कि " अंता उपचुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत सुनिश्चित है, जबकि कांग्रेस की स्थिति इतनी कमजोर हो गई है कि उसे अपनी जमानत बचाने के भी लाले पड़ गये हैं।" सिसोदिया ने कांग्रेस की नामांकन रैली पर कटाक्ष करते हुए कहा “जब किसी प्रत्याशी को रैली में भीड़ जुटाने के लिए 100-100 किलोमीटर दूर से लोगों को बुलाना पड़े, तो यह साफ़ संकेत है कि उस प्रत्याशी का स्थानीय जनाधार पूरी तरह समाप्त हो चुका है। कांग्रेस की रैली में स्थानीय लोग नहीं थे, केवल भीड़ दिखाने के लिए दूसरे क्षेत्रों से लोगों को लाया गया था।” उन्होंने कहा कि “कांग्रेस की नामांकन सभा में मंच पर वही राजनैतिक रूप से अस्वीकार हो चुके चेहरे मौजूद थे, जिनके नेतृत्व में कांग्रेस का जहाज डूबा था। " उन्होंने कहा कि " याद रहे कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासर...

My Gov लोकतांत्रिक जनसेवक आचार संहिता

अरविन्द सिसोदिया 9414180151  लोकतंत्र का मूल कार्य जनता के हितों में न्यायपूर्ण  सुलभता लाना है। उनके हितों की रक्षा करना है। दिन प्रतिदिन की बदलती व्यवस्थाओं में जनहित सुनिश्चित करना है। इसलिए  1- प्रत्येक मंत्री अपने विभाग की प्रतिमाह जिला स्तर पर, उनके आधार पर प्रति तीन माह में प्रदेशस्तर पर सलाहकार समिति से साथ समस्याओं के समाधान की बैठक करेंगे। क़ानून में सुधार की चर्चा करेंगे, नियम कानूनों में बदलाव की चर्चा करेंगे। एवं प्रत्येक विधानसभा सत्र के द्वारा इस तरह के लोककल्याण कारी क़ानून बनाएंगे। यह निरंतर होना चाहिए। 2- प्रत्येक जनप्रतिनिधि प्रतिदिन, जनता के बीच कम से कम दो घंटे मिलेगा जुलेगा, जगह बदल बदल कर लोगों से मिलेगा। जनता की वास्तविकता समस्याओं को जानेगा, उनके समाधान की व्यवस्था करेगा। 3-  प्रत्येक जनप्रतिनिधि को क़ानून व्यवस्था की समीक्षा हेतु प्रति सप्ताह, जुड़े हुये अफसरों के साथ बैठना अनिवार्य होगा। छोटी से छोटी घटना पर भी ध्यान देना होगा। न्याय ही हो... अन्याय न हो यह सुनिश्चित भी करना होगा। लोकतंत्र की मूल भावना न्यायपूर्ण शासन है, भीड़ गंत्र नहीं। इसलिए ...

My Gov जनप्रतिनिधि न्याय सुधार : भ्रष्टाचार एवं न्यायिक जवाबदेही

नया क़ानून बने  नीचे   “जनप्रतिनिधि न्याय सुधार एवं भ्रष्टाचार-नियंत्रण जननीति दस्तावेज़, 2025” के रूप में प्रस्तुत है 👇 🇮🇳 जनप्रतिनिधि न्याय सुधार एवं भ्रष्टाचार-नियंत्रण जननीति दस्तावेज़ – 2025 🔶 भूमिका भारतीय लोकतंत्र का आधार संविधान, न्यायपालिका और जनप्रतिनिधि संस्थाएँ हैं। किन्तु जब वही जनप्रतिनिधि — जो जनता के विश्वास से सत्ता में आते हैं — भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में घिरते हैं, मुकदमे दशकों तक लंबित रहते हैं, और सजायाफ्ता होने के बावजूद राजनीतिक रूप से सक्रिय रहते हैं, तब संविधान की आत्मा पर प्रश्न उठता है। यह दस्तावेज़ इस बात का प्रस्ताव रखता है कि न्यायिक प्रक्रिया, जनप्रतिनिधियों के लिए और अधिक उत्तरदायित्वपूर्ण, पारदर्शी और समयबद्ध बने, ताकि जनता का विश्वास पुनर्स्थापित हो सके। 🔷 नीति का उद्देश्य जनप्रतिनिधियों से जुड़े भ्रष्टाचार मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए विशेष न्यायिक प्रणाली स्थापित करना। जमानत और सजा स्थगन की मनमानी पर नियंत्रण लाना। राजनीतिक और न्यायिक जवाबदेही को संस्थागत रूप देना। न्याय की प्रतिष्ठा को सशक्त करना ताकि ज...